प्रौद्योगिकी मुद्दे

भारतीय भाषाओं में इलेक्ट्रॉनिक अनुवाद सहायतायें अबतक विकास के प्राथमिक चरण में है। इस प्रकार के उपकरण में सम्मिलित हैं: वर्ड प्रोसेसर्स, शब्दकोश, प्रबंधन उपकरण, शब्द बैंक, ऑनलाइन शब्दकोश, ऑनलाइन और दृश्य पर्यायवाची/विलोम शब्दकोश, शब्दखोजकर्ता, अनुवाद मेमोरी सॉफ्टवेयर, ई-अनुवाद (मशीनी अनुवाद सॉफ्टवेयर), शब्दावली, कॉरपोरा, वर्तनी जाँचकर्ता, व्याकरण जाँचकर्ता, इलेक्ट्रॉनिक शब्दकोश, तकनीकी शब्दावली, व्याकरण शब्दावली, ऑनलाइन उपकरण, सांस्कृतिक शब्दकोश, और अन्य सुविधायें। इनमें से मशीनी अनुवाद पैकेज के अतिरिक्त सभी अनुवादकों को मदद उपलब्ध कराता है, न कि वास्तविक अनुवाद के काम को निरूपित करता है।

एनटीएम प्रशिक्षण में सहायता करके और कुछ गतिविधियों के लिए मानवीय तकनीकी स्रोत के विकास द्वारा साझेदारी और सहक्रिया के सहारे दूसरों को सहायता करके मशीनी अनुवाद में तकनीकी विकास की सुविधायें उपलब्ध करा सकता है। भारतीय भाषाओं के लिए प्रौद्योगिकी विकास (टीडीआइएल) और सी-डैक इत्यादि जैसे जुड़े संस्थान को एनटीएम निम्नलिखित क्षेत्रों में सहायता प्रदान कर सकता है।

a. आवश्यक बुनियादी ढाँचा खासकर अंकीय उपकरण (डिजिटल टूल्स) जैसे पर्यायवाची/विलोम शब्दकोश, द्विभाषी शब्दकोश, अनुवाद मेमोरी के लिए सॉफ्टवेयर इत्यादि विकसित करना जिनका प्रत्यक्ष उपयोग अधिक से अधिक समर्थ और प्रभावकारी अनुवाद के लिए होता है।
b. एक लम्बे समय तक विभिन्न संस्थानों की साझेदारी द्वारा शाब्दिक साधन जैसे ई-शब्दकोश, वर्डनेट, भाषा विश्लेषण और संश्लेषण उपकरण, अन्वितिकार, और आवृति विश्लेषक इत्यादि विकसित करना और जारी रखना; यहाँ एनटीएम सभा आयोजन, ऑनलाइन परिचर्चा इत्यादि के सहारे समूहकार्य के लिए एक संयुक्त मंच उपलब्ध करा सकता है।
c. स्पष्ट डिजिटल रूप में अनुवादों और स्रोत पाठों के लिए स्वत्वाधिकार के मुद्दे हल करना। एनटीएम यह सुनिश्चित कर सकता है कि इस डिजिटल सामग्री के भंडार की देखरेख निश्चित मानक XML tags और DTD के साथ एक मानक प्रारूप में किया जा सकता है।
d. एलडीसी-आइएल परियोजना के तहत टिप्पणी और संलेखन के साथ विकसित की जा रही उच्च कोटि के समानान्तर कॉरपोरा की देखरेख और निर्माण। इस प्रकार के कॉरपोरा को मशीनी अनुवाद प्रणाली प्राप्त करने के लिए मशीन द्वारा सीखे जानेवाले तकनीकों से प्रयोग किया जा सकता है।
e. Promotion of an interlingua based approach along the lines of the ‘Universal Networking Language’ (UNL) initiated by the United Nations in 1996 involving 15 countries. IIT, Bombay has already developed various tools, techniques and resources for English and Indian language MT which could be generalised.